Tuesday, February 10, 2009

उसके बाएं स्तन पर खरोंच का निशान


उसके होठों पर सूख चुकी पपड़ी पर खून का धब्बा है
उसके बाएं स्तन पर खरोंच का निशान
दाईं जांघ पर रगड़ का
एक फूल है लगातार जलता हुआ
लगातार उठते हुए धुंए से
उसकी आत्मा की दीवार का रंग बदल चुका है
अब उस पर उसकी रसोईघर की दीवार का रंग चढ़ चुका है
उसका दाहिना हाथ अथाह अंधेरे में लटका हुआ है अकेला
थाम लेने की अंतहीन इच्छा में स्थिर
उसके चेहरे का हरा निशान धुंधला चुका है
जो हमेशा के लिए गहरा गया है उसकी आत्मा के एक कोने में

पीली तितलियां हैं उसकी आंखों की पुतलियों में
एक पीला फूल है आत्मा के सरोवर में
कभी वहां धूप आती है तो सरोवर के सांवले होते पानी में
और पीला होकर चमकने लगता है फूल
(पेंटिंग ः मिथुन दत्ता)

9 comments:

निर्मला कपिला said...

bahut badiyaa abhiviyakti hai bdhai

Vinay said...

बहुत ख़ूब, सुन्दर प्रस्तुति


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गुलाबी कोंपलें | चाँद, बादल और शाम

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) said...

मन को झंकझोर देने वाली कविता

Unknown said...

hi really touching poem..keep writing the same.

by the way would like to know that, which application are u using for typing in Hindi..? is it easy to type..? or we have to follow any tables..? will u tell me...?

रंजू भाटिया said...

निशब्द कर दिया इस रचना ने ..

पीली तितलियां हैं उसकी आंखों की पुतलियों में
एक पीला फूल है आत्मा के सरोवर में
कभी वहां धूप आती है तो सरोवर के सांवले होते पानी में
और पीला होकर चमकने लगता है फूल

बेहतरीन हैं यह

Anonymous said...

aapne to apni kavita se dil mein ghur kar liya..

अजेय said...

bahut zinda kavita hai bhai,maza aa gaya

Bahadur Patel said...

उसकी आत्मा की दीवार का रंग बदल चुका है
अब उस पर उसकी रसोईघर की दीवार का रंग चढ़ चुका है
उसका दाहिना हाथ अथाह अंधेरे में लटका हुआ है अकेला
थाम लेने की अंतहीन इच्छा में स्थिर
उसके चेहरे का हरा निशान धुंधला चुका है
जो हमेशा के लिए गहरा गया है उसकी आत्मा के एक कोने में

bahut badhiya kavita hai.
bhasha ke ek naye lok me le jati hai.badhai.

कंचन सिंह चौहान said...

यदि आह भर के चुप हो जाने के लिये कोई symbol होता तो बस उसे छोड़ दिया होता, इस पोस्ट के बाद....!