कहते हैं हरे से उम्मीद बंधती है। वह भी उसी एक हरी बिंदी से उम्मीद बांधने लगा। उसका सारा खून दिल से होकर किन्हीं उद्दाम लहरों की तरह उस हरी बिंदी तक पहुंचता। शायद एक खास जगह थी, शायद एक खास समय जब वहां से खड़े होकर उसे हरी बिंदी चमकती दिखाई देती। उसकी सारी चेतना वहीं एकाग्र होती। उसका समूचा अस्तित्व उस एक हरी बिंदी में सिमटता लगता।
जब हरी बिंदी दिखाई नहीं देती तो उसे लगता, इस धरती पर उसका कोई वजूद नहीं। उसके लिए हरी बिंदी होने का मतलब उसका अपना होना था।
एक दिन देखते-देखते ही अचानक हरी बिंदी अचानक बुझ गई। उसे लगा जैसे एकाएक उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है और अंधेरा छा गया है। वह एक काले पानी की गहराई में डूब रहा है।
बस। इसके बाद उसके दिन-रात बदल गए।
फिर वह जहां जाता, उसे हरी बिंदी दिखाई देती। दाढ़ी बनाते हुए आईने पर...नहाते समय हिलते हुए पानी की सतह पर, किसी की आंखों में झांकते हुए उसकी भूरी पुतली पर...लिखते हुए किसी कागज पर, सोते हुए किसी तकिए पर...नींद में किसी स्वप्न की तरह...
उसके लिए उम्मीद एक हरे रंग से बनी थी...
एक दिन यही उम्मीद एक इतने दिलकश हरेपन में बदल गई कि वह अचानक उस अोर हाथ बढ़ा बैठा। उस हरेपन के पीछे कुछ ऐसा छिपा था जिसने अपना फन उठाकर कुछ फूंक दिया और उसे लगा कि अब वह सब कुछ गंवा बैठा है। उसे मालूम था, वह फन उसी की इच्छा का प्रतिरूप है। उसी की इच्छा ने उसे फूंका है।
वह नया साल था। उसकी मुबारक बात तक कूबुल नहीं की गई...
उसे लगा उम्मीद सिर्फ हरे रंग से नहीं बंधती। उम्मीद सिर्फ हरे रंग से नहीं बनती। उम्मीद कई जटिल रंगों से बनी होती है...
यह उसकी जिंदगी में जटिल रंगों को समझने की शुरुआत थी...
जब हरी बिंदी दिखाई नहीं देती तो उसे लगता, इस धरती पर उसका कोई वजूद नहीं। उसके लिए हरी बिंदी होने का मतलब उसका अपना होना था।
एक दिन देखते-देखते ही अचानक हरी बिंदी अचानक बुझ गई। उसे लगा जैसे एकाएक उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है और अंधेरा छा गया है। वह एक काले पानी की गहराई में डूब रहा है।
बस। इसके बाद उसके दिन-रात बदल गए।
फिर वह जहां जाता, उसे हरी बिंदी दिखाई देती। दाढ़ी बनाते हुए आईने पर...नहाते समय हिलते हुए पानी की सतह पर, किसी की आंखों में झांकते हुए उसकी भूरी पुतली पर...लिखते हुए किसी कागज पर, सोते हुए किसी तकिए पर...नींद में किसी स्वप्न की तरह...
उसके लिए उम्मीद एक हरे रंग से बनी थी...
एक दिन यही उम्मीद एक इतने दिलकश हरेपन में बदल गई कि वह अचानक उस अोर हाथ बढ़ा बैठा। उस हरेपन के पीछे कुछ ऐसा छिपा था जिसने अपना फन उठाकर कुछ फूंक दिया और उसे लगा कि अब वह सब कुछ गंवा बैठा है। उसे मालूम था, वह फन उसी की इच्छा का प्रतिरूप है। उसी की इच्छा ने उसे फूंका है।
वह नया साल था। उसकी मुबारक बात तक कूबुल नहीं की गई...
उसे लगा उम्मीद सिर्फ हरे रंग से नहीं बंधती। उम्मीद सिर्फ हरे रंग से नहीं बनती। उम्मीद कई जटिल रंगों से बनी होती है...
यह उसकी जिंदगी में जटिल रंगों को समझने की शुरुआत थी...
रंग
शुन्तारो तानीकावा
उम्मीद कई जटिल रंगों से बनी होती है
धोखा खाए दिल का लाल
न ठहरने वाले दिनों का राख का रंग
नीले के नीलेपन से मिला हुआ
चिड़िया के बच्चे का चोंच का पीला
त्वचा का भूरापन
काले जादू की ऊष्मा के साथ
कीमियागरी के सुनहरे सपने
कई देशों के झंड़ों के साथ
अछूते जंगलों का हरा, और निश्चित ही,
इंद्रधनुष के शरमाए हुए सात रंग,
नाउम्मीदी एक साधारण रंग है
शुद्ध सफेद
(इस जापानी कवि की इस कविता के अनुवादक हैं अशोक पांडे)
पेंटिंग ः रवींद्र व्यास
6 comments:
बहुत ही सुंदर कविता है रविन्द्र जी। खूबसूरत चयन।
वाह! बहुत ही उम्दा चयन और अनुवाद है.
इत्तिफकान पहले तीन ब्लॉग पढ़े अलग -अलग मानवीय सवेदना लिये हुए पर तीनो एक ख़ास रंग से भरे....पहले तो शब्द खींच लाये..फ़िर यहाँ पढ़ा तो ठहर गया ....ओर ठहरा रहा ...अद्भुत रंग है इन शब्दों में भी....
नाउम्मीदी एक साधारण रंग है
शुद्ध सफेद
बहुत अच्छी प्रस्तुति है
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गुलाबी कोंपलें
सुंदर लफ्जों से रंगी अच्छी पोस्ट है यह
bahut sundar post hai.kavita aur painting ka kya kahana hai.
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