Saturday, May 16, 2009
मोनालिसा! हम आ रहे हैं!!
वे बरसों से सभी को अपनी ओर खींच रही हैं। विशेषकर चित्रकारों को। उनका चेहरा अलौकिक है, मुस्कान चिर रहस्यमयी। चेहरे और आंखों के भाव इतने विरल और तरल हैं कि हजारों अर्थ निकाले जाते हैं। उनके प्रति मोह अंतहीन है। यही कारण है, सब उनकी ओर खींचे चले जाते हैं। वे मानालिसा हैं। इटली के महान चित्रकार-शिल्पकार लियोनार्दो दा विची की कालजयी कलाकृति। शहर के तीन कलाकार मोनालिसा की असल पेंटिंग को निहारना चाहते हैं। ये हैं ईश्वरी रावल, बीआर बोदड़े और सुशीला बोदड़े। ये तीनों कलाकार 15 मई को विदेश यात्रा पर नौ कलाकारों के साथ जा रहे थे। इसमें पुणे के छह कलाकार शामिल हैं। लेकिन स्वाइन फ्लू के कारण इन्होंने अपनी यात्रा फिलहाल स्थगित कर दी है। हालात ठीक होते ही वे यह यात्रा करेंगे।
दल का इरादा है कि घूमें भी और दुनिया की मशूहर आर्ट गैलरीज, संग्रहालय और पेंटिंग्स देखने का मौका न चूकें। यह दल अपनी सत्रह दिवसीय यात्रा में लंदन, पेरिस, रोम, फ्लोरेंस, वेटिकन सिटी, लुक्रेन(स्विट्जरलैंड ), इन्सप्रक(आस्ट्रिया), ब्रूसेल्स, एम्सटर्डम की सैर करेगा। इस दौरान ये कलाकार न केवल मशहूर आर्ट गैलरीज में विश्वविख्यात पेंटिंग्स को देखेंगे बल्कि चाहते हैं कि वहां मौजूद समकालीन कलाकारों से बातचीत भी हो सके।
वरिष्ठ चित्रकार ईश्वरी रावल बताते हैं कि मैं मोनालिसा को न केवल निहारना चाहता हूं बल्कि मैं उनके हाथों की बनावट का भी अध्ययन करना चाहता हूं क्योंकि कुछ शोधों का निष्कर्ष है कि मोनालिसा की अंगुलियां सूजी हुई हैं जो किसी बीमारी के लक्षण हैं। मोनालिसा पिछले पांच सौ सालों से कला इतिहास के केंद्र में हैं और उनसे लिपटे रहस्य अब तक बरकरार है। इस पेंटिंग को लेकर कई अध्ययन हुए हैं और सिद्धांत प्रतिपादित किए गए हैं। आज भी मोनालिसा को लेकर अध्ययन जारी हैं। जाहिर है यह लियोनार्दो दा विंची की अद्भुत कल्पना की कालजयी कृति है। यह पेंटिंग पेरिस के लुव्र संग्रहालय में है। श्री रावल बताते हैं कि मैं इसके अलावा लंदन की नेशनल गैलरी में अतियथार्थवादी महान चित्रकार सल्वाडोर डाली की अमर चित्रकृति मेटामार्फासिस आफ नैरसिसस देखने की भी गहरी उत्सुकता है और साथ ही ज्यां ओनार फ्रेगनार्ड के बनाए बच्चों के चित्र भी देखना चाहता हूं। इसके अलावा जॉन कॉन्स्टेबल द्वारा बनाया गया अपनी पत्नी का व्यक्तिचित्र मारिया बिकनेल देखूंगा।
वरिष्ठ चित्रकार बीआर बोदडे कहते हैं कि हम इस विदेश को यात्रा यादगार बनाने के लिए दुनिया के यादगार पेंटिंग्स देखने का मौका नहीं चूकना चाहते हैं। किसी भी चित्रकार के लिए यह दुर्लभ और अनूठा अनुभव हो सकता है कि वह दुनिया के दिग्गज चित्रकारों की मशहूर पेंटिंग्स के सामने खड़ा हो। हम जिन गैलरीज और संग्रहालयों में जाएंगे उनमें पाब्लो पिकासो से लेकर वान गॉग, गोया से लेकर रेम्ब्रां तक की पेंटिंग्स देख सकेंगे। संभव हुआ तो समकालीन चित्रकारों से संवाद करेंगे। वे कहते हैं कि मोनालिसा पेंटिंग्स के बारे में इतना सुन औऱ पढ़ रखा है कि उसकी असल पेंटिंग देखने की तमन्ना बरसों से मन में संजो रखी थी। उसे देखने के लिए मैं आतुर हूं और चाहता हूं कि उसके सामने ज्यादा से ज्यादा वक्त बिता सकूं। चित्रकार सुशीला बोदड़े तो रोमांचित हैं कि वे जल्द ही मोनालिसा की असल पेंटिंग को देख सकेंगी। वे कहती हैं मैंने आज से लगभग बास साल पहले मोनालिसा का एक बहुत ही खूबसूरत कैलेंडर देखा था। उनकी मोहक मुस्कान देखकर मैं मोहित हो गई थी। सोचा करती थी कि वह स्त्री कितनी खूबसूरत होगी जिसके चारों ओर अब भी रहस्य लिपटा है। इतनी रेअर पेंटिंग को देखना इस जीवन का सचमुच बहुत ही अनूठा अनुभव होगा। मैं रोमांचित हूं।
इमेजेसः
१. मोनालिसा
२. डाली की मेटामार्फिसिस आफ नैरसिसस
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4 comments:
अच्छी खबर है, अगर वो वहां जा रहे हैं. तो हम उम्मीद करते हैं, जो तस्वीर उनकी आंखों के सामने वहां उभरेगी, वो कैनवास पर भी उतरेंगे.
Monalisa jaisi mahaan kalaakriti itne jyada samay tak kaise na sirf kalaakaron balki vaogyaanikon ke liye rahasay ka vishay ban sakti hai, sun kar ajeeb sa kautoohaal bhara anubhav hota hai. abhi tak is painting mein kai bhaav khoje ja chuke hain. iski muskaan ke baare mein shayad jyada kuch nahi kaha ja sakta hai, kyonki ye nishchit nahi hai ki wo kin paristhitiyon mein hans rahi hai..... bhavishya ke liye shubhkaamnaayen.
ssiddhant mohan tiwary
Varanasi.
इन सभी कलाकारों को यात्रा की अग्रिम शुभकामनाएं!
मोनालिसा के बारे में किसी ने यहाँ तक कहा है कि दरअसल वह स्त्री है ही नहीं. दा विंची ने एक कोमल पुरुष को स्त्री के कपड़े पहनाकर सामने बिठाया और यह पेंटिंग तैयार की! राम जाने हकीकत क्या है!
kisi bhi painter ke liye world ki great paintings dekhna khush kismati ki baat hai....best wishes to all painters.
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