Wednesday, March 4, 2009

चित्रकार श्रेणिक जैन मीरा कला सम्मान से सम्मानित


यह सचमुच चकाचौंध और बड़बोलेपन से दूर रहने और चुपचाप अपनी कला रचने वाले कला साधक का सम्मान था। और इसके साक्षी थे शहर के तमाम नए-पुराने कलाकार और फाइन आर्ट कॉलेज के छात्र। मौका था देवलालीकर कला वीथिका में मंगलवार की शाम वरिष्ठ चित्रकार श्रेणिक जैन को मीरा सम्मान से सम्मानित किया जाना। चित्रकार मीरा गुप्ता, प्रो. सरोजकुमार और चित्रकार ईश्वरी रावल ने उन्हें शाल-श्रीफल और 51 हजार रूपयों की सम्मान राशि से सम्मानित किया। इस अवसर पर श्री जैन की कला के रूपाकारों-रंगों से रूबरू कराने के लिए उनके 25 चित्रों की नुमाइश भी लगाई गई जो 6 मार्च तक जारी रहेगी। श्री जैन के साथ ही युवा चित्रकार आलोक शर्मा को भी सम्मानित किया गया।
ख्यात चित्रकार ईश्वरी रावल ने ठीक ही कहा कि श्री जैन ने अपने गुरुअों की बातों पर अमल करते हुए खुले धरती और आकाश को अपनी पूरी सुंदरता में मथकर फलक पर फैला दिया।कला में सृजनात्मक को केंद्र में रखकर उन्होंने आधुनिकता और परंपरा में एक स्वस्थ संतुलना साधा और अपनी कला के नए आयाम रचे। रंगों औऱ रूपाकारों की समझ विकसित की। श्री रावल ने श्री जैन पर बहुत ही आत्मीय और संस्मरणात्मक लहजे में उनकी कला यात्रा के महत्वपूर्ण रचनात्मक पड़ावों की बात की और बताया कि एक समय ऐसा भी आया था जब उनके गुरु ख्यात चित्रकार डीजे जोशी उनके साथ चित्र बनाते थे और उन्हें पहचानना मुश्किल होता कि उनके शिष्य का चित्र कौन सा है उनका कौनसा। निश्चिच ही किसी भी शिष्य के लिए यह एक रचनात्मक संतोष और गर्व की बात है। श्री रावल ने उनकी सफलता और रूपाकारों की यात्रा पर रोशनी डालकर उनके रंगों और चटख कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि श्रीमती गुप्ता हिंदुस्तान की शायद पहली महिला चित्रकार हैं जो अपनी निजी पूंजी से शहर के चित्रकारों का सम्मान कर रही हैं।
विशेष अतिथि प्रो. सरोजकुमार ने कहा कि यहां मौजूद तमाम युवा चित्रकारों और कला विद्यार्थियों को यह सीख लेना चाहिए कि कला में कामयाबी का कोई आसान रास्ता नहीं होता। पुरस्कार कबाड़े तो जा सकते हैं लेकिन समय के द्वारा रेखांकित किया जाना ही ऐतिहासिक मूल्यांकन है। आज समय ने श्री जैन की कला को रेखांकित किया है और मैं उनके यहां प्रदर्शित चित्रों को देखकर खो गया हूं। उन्होंने श्री गुप्ता द्वारा पुरस्कार दिए जाने की परंपरा की प्रशंसा की। चित्रकार सुशीला बोदड़े ने श्रीमती गुप्ता का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया।
इसके पहले अतिथियों ने सरस्वति के चित्र पर माल्यार्पण किया और दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। चित्रकार बीआर बोदड़े, फोटोग्राफर सुबंधु दुबे, ईश्वरी रावल और शबनम ने श्री जैन का स्वागत किया। संचालन दीपा तनवीर ने किया और आभार माना श्रीमती गुप्ता ने।
वीथिका में प्रदर्शित श्री जैन के चित्रों में नए-पुराने काम शामिल हैं और इन्हें देखकर यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने को प्रयोगधर्मिता से बचाते हुए बहुत ही नैसर्गिक ढंग से सुंदरता को ही अपना सत्य बनाया। उन्होंने एक नई चित्र भाषा गढ़ते हुए सुंदर रूपाकार रचे और अपनी कला के लिए अपने आसपास के इलाकों को आधार बनाया। यही कारण है कि उनके चित्रों में दर्शक जानी-पहचानी जगहें देख पाते हैं।
(पेंटिंग ः श्रेणिक जैन का माइंडस्केप)

3 comments:

Ashok Pande said...

क्या ज़बरदस्त पेन्टिंग! जैन साहेब को बधाई पहुंचा देवें.

varsha said...

आज समय ने श्री जैन की कला को रेखांकित किया है bahut bahut badhai.

पारुल "पुखराज" said...

दोनों चित्र - बार बार , पलट पलट कर देखे