Thursday, February 5, 2009

अभिनय के असली बादशाह हैं अमिताभ






अड़तीस सालों से अमिताभ बच्चन के फोटो खींच रहे मुंबई के फोटोजर्नलिस्ट प्रदीप चंद्रा से बातचीत
वे 38 सालों से अमिताभ बच्चन के फोटो खींच रहे हैं। उन्होंने इस महानायक की कई छवियों को कैमरे की आंख से खूबसूरत अंदाज से देखा। जबर्दस्त अभिनेता के रूप में, उद्यमी से लेकर एक कांग्रेसी नेता के रूप में, एक मिलनसार शख्सियत के रूप में। उन्होंने अमिताभ को अलग अलग समयों में, अलग अलग मुद्राअों में अपनी तस्वीरों में उतारा। अमिताभ को लेकर प्रदर्शनी की, उनसे दर्जनों साक्षात्कार लिए और किताब लिखी- एबी द लीजेंड। इसमें उनकी फिल्मों की तमाम तरह की तस्वीरें, देश की मशहूर हस्तियों से मिलते हुए तस्वीरें शामिल हैं। कहा जा सकता है कि यह अमिताभ की चित्रमय जीवनी है और प्रदीप उनके फोटो-जीवनीकार। इस महानायक के प्रति उनका आकर्षण जारी है और अभी कुछ दिनों पहले ही उन्होंने अमिताभ की एक तस्वीर ली और मुझे भेजी। ये हैं मुंबई के ख्यात फोटोजर्नलिस्ट प्रदीप चंद्रा।
जब उनसे पूछा गया कि अमिताभ फिर से सुर्खियों में हैं तो क्या वे अमिताभ पर कोई शो करेंगे? उनका जवाब था-मैं किसी बाहरी कारणों के बजाय अपने मन से ज्यादा संचालित होता हैं। मन जो कहता है, करता हूं। फिर मैं अमिताभ के पीछे पड़कर यह नहीं चाहता था कि वे कहने लगें कि क्या मुसीबत पीछे पड़ गई है। लेकिन यह सच है कि उनकी शख्सियत में एक गजब का आकर्षण है। और यह इस उम्र में भी बरकरार है।
वे कहते हैं-अमिताभ अभिनय के असली बादशाह हैं। मेरे खयाल से वे पूरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक आदर्श हैं क्योंकि उनसे ज्यादा आर्गनाइज्ड अभिनेता मैंने दूसरा नहीं देखा। वे उम्र के इस पड़ाव पर भी बेहद क्रिएटिव हैं और उनमें कड़ा अनुशासन है। वे एक जबर्दस्त अभिनेता होने के साथ बेहतरीन इनसान हैं।
श्री चंद्रा 1970 से अमिताभ की तस्वीरें खींच रहे हैं। यही नहीं, उन्होंने अपनी खींची अमिताभ की तस्वीरों के साथ प्रयोग भी किए। वे कहते हैं-एक आर्ट कैम्प के दौरान कुछ चित्रकारों के साथ काम करते हुए मुझे यह सूझा कि क्यों न अमिताभ के फोटो और चित्रकारी को लेकर कुछ नया काम किया जाए। मैंने अपने चित्रकार मित्र वृंदावन सोलंकी को कहा कि मैं आधे कैनवास पर अमिताभ का फोटो प्रिंट करवा कर दूं तो क्या आधे खाली कैनवास पर वे अमिताभ को पेंट करेंगे? उन्हें यह विचार अच्छा लगा। इस तरह मैंने करीब 18 कैनवास पर अपनी खींची अमिताभ की तस्वीर प्रिंट करवा कर 18 चित्रकारों को कैनवास दिए। इनमें चित्रकार वृंदावन सोलंकी, चरण शर्मा, चिंतन उपाध्याय, प्रीतीश नंदी, बैजू पार्थन, परेश मैटी, जीपी सिंघल, सुभाष अवचट और सफदर शामी शामिल थे। इस तरह इन सब चित्रकारों ने मेरी खींची तस्वीर के साथ ही अपने ढंग से अमिताभ को पेंट किया। फिर हमने बच्चन के 61वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में यह यूनिक शो करने की योजना बनाई। अमिताभ से बात की तो उन्होने कहा उनके जन्मदिन पर तो वे नहीं आ सकेंगे लिहाजा उसके दो-तीन दिन बाद की तारीख उन्होंने दी। संयोग से उस दिन करवा चौथ था। इस दिन की एक मजेदार बात याद करते हुए श्री चंद्रा बताते हैं कि जैसे ही अमिताभ मुंबई की जीडब्ल्यू मैरियट में इस शो का उद्घाटन करने आए तो उन्होंने धीरे से मेरे कान में कहा-आज करवा चौथ है। जल्दी छुट्टी दे देना यार। बीवी घर पर बैठी इंतजार करती होगी। वे लगभग एक घंटा शो में रहे और कुछ काम उन्हें बहुत पसंद आए। फिर मैंने अपनी तस्वीरों के आधार पर उन पर एक किताब लिखी-एबी द लीजेंड। इसमें तीन तरह की तस्वीरें हैं। मेरे इंटरव्यू हैं और कुछ खास लोगों के अमिताभ के बारे में विचार हैं। इनमें भावना सौमेया से लेकर शोभा डे और प्रीतीश नंदी शामिल हैं।
श्री चंद्रा की खींची गईं तस्वीरें इंडियन एक्सप्रेस, संडे अॉब्जर्वर, इंडिपेंडेंट, बाम्बे टाइम्स और एशिया वीक में छपती रही हैं। उनके काम को कई मशहूर हस्तियों ने सराहा है और अमिताभ बच्चन, अंबानी, विजय माल्या, शोभा डे, हीरानंदानी और सुभाष घई के व्यक्तिगत संग्रहों में संग्रहित हैं। उन्होंने मुंबई के कमाठीपुरा इलाके के बच्चों की मार्मिक तस्वीरें खींची थी और मुंबई में ही एक शो किया था। प्रतिष्ठित गैलरी ताअो, जहांगीर, वायबी चव्हाण आर्ट गैलरी में उनकी प्रदर्शनियां हो चुकी हैं। वे कहते हैं -अब मैं मशहूर चित्रकार एमएफ हुसैन पर एक बड़ा शो उनके जन्मदिन 17 सिंतबर 2009 में करूंगा। अभी इसकी रूपरेखा तय नहीं है लेकिन होगा यह भी अलग हटकर। मुंबई की आर्ट एंड सोल गैलरी में उनकी प्रदर्शनी हवेली ड्रीम्स हाल ही में खत्म हुई है।
(चित्रः दायीं अोर प्रदीप चंद्रा का खींचा फोटो और उसी कैनवास के आधे हिस्से में चित्रकार सफदर शामी की बनाई अमिताभ की पेंटिंग)

5 comments:

कुमार अम्‍बुज said...

रवि,
सोचता हूं कि तुम चित्रकार बेहतर हो या ग़द्यकार। दरअसल, तुम दोनों ही रूपों में श्रेष्‍ठ हो। तुममें अन्‍य की कला के प्रति जो अकुंठ प्रशंसाभाव है, वह तुम्‍हें कुछ उच्‍चतर स्‍थान पर खड़ा करता है।

तुम्‍हारी पिछली दस-बारह पोस्‍ट ने मुझे बहुत प्रसन्‍न ओर आश्‍वस्‍त किया है। मैं यही सब तो तुमसे चाहता रहा हूं।

कुमार अम्‍बुज said...

रवि,
सोचता हूं कि तुम चित्रकार बेहतर हो या ग़द्यकार। दरअसल, तुम दोनों ही रूपों में श्रेष्‍ठ हो। तुममें अन्‍य की कला के प्रति जो अकुंठ प्रशंसाभाव है, वह तुम्‍हें कुछ उच्‍चतर स्‍थान पर खड़ा करता है।

तुम्‍हारी पिछली दस-बारह पोस्‍ट ने मुझे बहुत प्रसन्‍न ओर आश्‍वस्‍त किया है। मैं यही सब तो तुमसे चाहता रहा हूं।

एस. बी. सिंह said...

आप हमेशा चित्र ही बनाते हैं चाहे रंगों से हो चाहे शब्दों से........और बनाते उम्दा चित्र हैं

Bahadur Patel said...

wakai rvindra bhai bahut sundar likha hai.

ravindra vyas said...

सभी का शुक्रिया। अंबुजजी आपका कमेंट उत्साह बढ़ाता है। कोशिश रहेगी कि आपको अच्छी से अच्छी चीज पढ़वाऊं।