फोटो और पेंटिंग के मेल से बनी अनोखी कलाकृतियों की प्रदर्शनी मुंबई में 14 जनवरी से
हर फनकार हरदम यह हसीन हसरत रखता है कि वह कुछ ऐसा करे कि लोग उसके फन को देख हैरत में पड़ जाएं। अपने फन के माहिर दो फनकारों ने कुछ ऐसा ही किया है। अपनी इन हसरतों को हवा देने के लिए उन्होंने हवेली हैवन को चुना। हवेली-हैवन यानी राजस्थान का शेखावटी इलाका जो अपनी खूबसूरत और बेजोड़ हवेलियों के लिए मशहूर है। समय की मार के बावजूद इन हवेलियों की नाजुक-रंगीन बनावट मारू है। आज भी हजारों देशी-विदेशी इनके रूप पर मर मिटते हैं। तो किसी समय इंदौर में रहकर चित्रकारी करने वाले युवा चित्रकार सफदर शामी और मुंबई के फोटोजर्नलिस्ट प्रदीप चंद्रा ने मिलकर अनोखी कलाकृतियों को जन्म दिया और इन्हें पुकारा-हवेली ड्रीम्स। इसके लिए श्री चंद्रा ने हवेलियों के दरवाजों की बनावट को ध्यान में रखते हुए फोटो खींचे और सफदर ने इन फोटो को कहीं कहीं से कल्पनाशील ढंग से फाड़कर अपने रंगों से इन्हें स्वप्नवत बना दिया। इन्हीं 22 कलाकृतियों को 14 से 29 जनवरी तक मुंबई की ख्यात आर्ट एंड सोल गैलरी में प्रदर्शित किया जाएगा। आज जब पेंटिंग में प्रयोग के नाम पर मानसिक खुराफातों को भी अंजाम दिया जा रहा हो तब ये कलाकृतियां अपनी प्रयोगधर्मिता में रचनात्मक भूख के कल्पनाशील साक्ष्य हैं। इनमें हवेलियों के खूबसूरत स्थापत्य की उठान भी देखी जा सकती है और संवेदनशील रंगों की उड़ान भी। यानी एक ही कैनवास पर दो भिन्न माध्यमों में काम करने वाले दो कलाकारों का अद्भुत काम। अब ये न पूरी तरह से फोटो हैं, न पेंटिंग और न ही कोलाज। ये इन सबकी खूबियों से बनी एक नई विधा है जिसका आस्वाद भी नया है।
इन 22 कलाकृतियों में हवेली के दरवाजे हैं, उनके ऊपर या आसपास बनी डिजाइनें हैं, खिड़कियां है, कभी बंद, कभी खुले -अधखुले दरवाजें हैं। कभी एक साथ तीन चार दरवाजें हैं तो सीढि़यां भी हैं। दरवाजों पर बनी डिजाइनें, लकड़ी के बारीक काम और आलिये हैं। इनमें कहीं लालटेन हैं और कहीं ढोलक लटकी हुई हैं। और ये सब सोचे-समझे और सचेत ढंग से लगाए मनोहारी रंगों में चमक-दमक रही हैं। इनमें नीले, पीले, हरे और मैरून रंगों का इस्तेमाल इस तरह से किया गया है कि वे अपने टोन और टेक्स्चर में एक नई चित्रभाषा गढ़ते हुए लगते हैं। फोटो और पेंटिंग के मेल से बनी ये कलाकृतियां देखो तो लगता है ये अपने आकारों और रंगों के खूबसूरत अंधेरे -उजाले में खोई सांसे ले रही हैं। जैसे अपने बीते समय की हसीन दास्ता को आपके सामने बयां करने लगेंगी। इनकी कम्पोजिशंस इतनी उम्दा है और रंगों का रचाव इतना अच्छा है कि ये किसी अमूर्त चित्र का मजा भी देते हैं। मिसाल के तौर पर हवेली के एक ग्रे-चमकीले दरवाजे के ऊपर-नीचे और दाएं-बाएं की दीवारों की जगह रंगों का कल्पनाशील इस्तेमाल देखा जा सकता है। कहीं ढोलक लटकी है और लगता है कि बस अभी हवेली में मंगल गान गूंजने ही वाले हैं।
श्री चंद्रा मुंबई के ख्यात फोटोजर्नलिस्ट हैं और लगभग साढ़े तीन दशकों से विभिन्न पत्र-पत्रिकाअों के लिए फोटो खींचते रहे हैं। हवेली ड्रीम्स उनका तीसरा बड़ा कलात्मक काम है। वे कहते हैं मैं जब राजस्थान गया तो मुझे शेखावटी इलाके की हवेलियां ने खासा आकर्षित किया। खासतौर पर इन हवेलियों के दरवाजों की बनावट, उनकी दीवारें, खिड़कियां और उन पर किया गया रंग-रोगन और खास पैटर्न की डिजाइनें। कम्पोजिशंस का ध्यान रखते हुए मैंने उन दरवाजों के फोटो लिए और उनके जेरॉक्स कराकर सफदर को दिखाए। उसने इन पर अपनी कूची से काम और हमने ये काम आर्ट एंड सोल की मालिक तराना खूबचंदानी को दिखाए। उन्हें ये खासे पसंद आए। फिर मैंने हवेली के दरवाजों के 22 फोटो सफदर को आर्काइवल पेपर पर प्रिंट कराकर दिए क्योंकि इन कागजों की जिंदगी दूसरे कागजों के मुकाबले ज्यादा होती है। सफदर कहते हैं कि यह एक चुनौतीभरा काम था क्योंकि इसमें फोटो की आत्मा को आहत किए बिना मुझे अपनी पेंटिंग की आत्मा को इस तरह से जीवंत करना था कि ये दो आत्माएं एक होकर धड़कने लगें। इसलिए पहले तो मैं कुछ दिनों तक प्रदीप के फोटो ही देखता रहा और फिर जहां जहां मुझे अपनी पेंटिंग के लिए स्पेस धडकता हुआ दिखा वहां-वहां मैंने रंगों से खेलना शुरू कर दिया। मैंने प्रदीप के फोटो पर पेंट किया और कहीं कही उनके फोटो को फाड़कर भी पेंट किया। इसमें तेईस इंच गुणित बयालीस इंच से लेकर चालीस इंच गुणित चौरासी इंच की कलाकृतियां शामिल हैं।
बाम्बे हेरिटेज ः यह है सफदर-प्रदीप की होटल ताज!
हवेली ड्रीम्स के पहले प्रदीप चंद्रा और सफदर शामी ने बाम्बे हेरिटेज शीर्षक से मुंबई में एक बड़ा शो किया था। इसके लिए प्रदीप चंद्रा ने मुंबई की धरोहरों के रूप में विख्यात बिल्डिंग्स को चुना। इसमें होटल ताज, गेटवे अॉफ इंडिया, वीटी(जो छत्रपति शिवाजी टर्मिनल हो गया है), हाजी अली, माउंट मेरी चर्च, बीएमसी बिल्डिंग, हायकोर्ट, एलफिंस्टन कॉलेज, सेंट जेवियर कॉलेज, ॉक्रॉफोर्ड मार्केट और ससून लायब्रेरी जैसी खूबसूरत और पुरानी बिल्डिंगें शामिल थीं। श्री चंद्रा ने इनके खास कोण से फोटो लिए ताकि उनकी संपूर्ण खूबसूरती को कैद किया जा सके। फिर उनके बड़े-बड़े प्रिंट्स निकलवाए और चित्रकार सफदर शामी को सौंप दिए। सफदर ने जहां जहां अपनी चित्रकारी की संभावनाएं देखीं वहां वहां से फोटो फाड़कर अपने रंग से उसे एक मुकम्मल पेंटिंग का रूप दे दिया। मिसाल के तौर पर होटल ताज को लीजिए जिसे आतंकवादी हमले में खासा नुकसान हुआ है। श्री चंद्रा के खीचें इस होटल के फोटो में सफदर ने ताज के टोन को ध्यान में रखते हुए आकाश को सुंदर रंगों से आलोकित किया, उसके कुछ गुंबदनुमा संरचना को चमकदार पीले रंग में निखार दिया जैसे वे सुनहरी धूप में चमक रहे हों और आसपास के पेड़ों और हलचलों को जीवंत कर दिया और इस तरह फोटो की लय में लय मिलाते हुए उसे रच दिया। इस तरह से अनूठे ढंग से बाम्बे हेरिटेज का यह कलात्मक दस्तावेज तैयार किया। इस तरह फोटो और पेंटिंग के मेल से लगभग तीस कलाकृतियां तैयार की गई थीं। श्री चंद्रा खुश होकर बताते हैं कि यह पूरी सिरीज हाल ही में बिक चुकी है। आशा है हमारे हवेली ड्रीम्स भी लोगों को पसंद आएंगे।
हर फनकार हरदम यह हसीन हसरत रखता है कि वह कुछ ऐसा करे कि लोग उसके फन को देख हैरत में पड़ जाएं। अपने फन के माहिर दो फनकारों ने कुछ ऐसा ही किया है। अपनी इन हसरतों को हवा देने के लिए उन्होंने हवेली हैवन को चुना। हवेली-हैवन यानी राजस्थान का शेखावटी इलाका जो अपनी खूबसूरत और बेजोड़ हवेलियों के लिए मशहूर है। समय की मार के बावजूद इन हवेलियों की नाजुक-रंगीन बनावट मारू है। आज भी हजारों देशी-विदेशी इनके रूप पर मर मिटते हैं। तो किसी समय इंदौर में रहकर चित्रकारी करने वाले युवा चित्रकार सफदर शामी और मुंबई के फोटोजर्नलिस्ट प्रदीप चंद्रा ने मिलकर अनोखी कलाकृतियों को जन्म दिया और इन्हें पुकारा-हवेली ड्रीम्स। इसके लिए श्री चंद्रा ने हवेलियों के दरवाजों की बनावट को ध्यान में रखते हुए फोटो खींचे और सफदर ने इन फोटो को कहीं कहीं से कल्पनाशील ढंग से फाड़कर अपने रंगों से इन्हें स्वप्नवत बना दिया। इन्हीं 22 कलाकृतियों को 14 से 29 जनवरी तक मुंबई की ख्यात आर्ट एंड सोल गैलरी में प्रदर्शित किया जाएगा। आज जब पेंटिंग में प्रयोग के नाम पर मानसिक खुराफातों को भी अंजाम दिया जा रहा हो तब ये कलाकृतियां अपनी प्रयोगधर्मिता में रचनात्मक भूख के कल्पनाशील साक्ष्य हैं। इनमें हवेलियों के खूबसूरत स्थापत्य की उठान भी देखी जा सकती है और संवेदनशील रंगों की उड़ान भी। यानी एक ही कैनवास पर दो भिन्न माध्यमों में काम करने वाले दो कलाकारों का अद्भुत काम। अब ये न पूरी तरह से फोटो हैं, न पेंटिंग और न ही कोलाज। ये इन सबकी खूबियों से बनी एक नई विधा है जिसका आस्वाद भी नया है।
इन 22 कलाकृतियों में हवेली के दरवाजे हैं, उनके ऊपर या आसपास बनी डिजाइनें हैं, खिड़कियां है, कभी बंद, कभी खुले -अधखुले दरवाजें हैं। कभी एक साथ तीन चार दरवाजें हैं तो सीढि़यां भी हैं। दरवाजों पर बनी डिजाइनें, लकड़ी के बारीक काम और आलिये हैं। इनमें कहीं लालटेन हैं और कहीं ढोलक लटकी हुई हैं। और ये सब सोचे-समझे और सचेत ढंग से लगाए मनोहारी रंगों में चमक-दमक रही हैं। इनमें नीले, पीले, हरे और मैरून रंगों का इस्तेमाल इस तरह से किया गया है कि वे अपने टोन और टेक्स्चर में एक नई चित्रभाषा गढ़ते हुए लगते हैं। फोटो और पेंटिंग के मेल से बनी ये कलाकृतियां देखो तो लगता है ये अपने आकारों और रंगों के खूबसूरत अंधेरे -उजाले में खोई सांसे ले रही हैं। जैसे अपने बीते समय की हसीन दास्ता को आपके सामने बयां करने लगेंगी। इनकी कम्पोजिशंस इतनी उम्दा है और रंगों का रचाव इतना अच्छा है कि ये किसी अमूर्त चित्र का मजा भी देते हैं। मिसाल के तौर पर हवेली के एक ग्रे-चमकीले दरवाजे के ऊपर-नीचे और दाएं-बाएं की दीवारों की जगह रंगों का कल्पनाशील इस्तेमाल देखा जा सकता है। कहीं ढोलक लटकी है और लगता है कि बस अभी हवेली में मंगल गान गूंजने ही वाले हैं।
श्री चंद्रा मुंबई के ख्यात फोटोजर्नलिस्ट हैं और लगभग साढ़े तीन दशकों से विभिन्न पत्र-पत्रिकाअों के लिए फोटो खींचते रहे हैं। हवेली ड्रीम्स उनका तीसरा बड़ा कलात्मक काम है। वे कहते हैं मैं जब राजस्थान गया तो मुझे शेखावटी इलाके की हवेलियां ने खासा आकर्षित किया। खासतौर पर इन हवेलियों के दरवाजों की बनावट, उनकी दीवारें, खिड़कियां और उन पर किया गया रंग-रोगन और खास पैटर्न की डिजाइनें। कम्पोजिशंस का ध्यान रखते हुए मैंने उन दरवाजों के फोटो लिए और उनके जेरॉक्स कराकर सफदर को दिखाए। उसने इन पर अपनी कूची से काम और हमने ये काम आर्ट एंड सोल की मालिक तराना खूबचंदानी को दिखाए। उन्हें ये खासे पसंद आए। फिर मैंने हवेली के दरवाजों के 22 फोटो सफदर को आर्काइवल पेपर पर प्रिंट कराकर दिए क्योंकि इन कागजों की जिंदगी दूसरे कागजों के मुकाबले ज्यादा होती है। सफदर कहते हैं कि यह एक चुनौतीभरा काम था क्योंकि इसमें फोटो की आत्मा को आहत किए बिना मुझे अपनी पेंटिंग की आत्मा को इस तरह से जीवंत करना था कि ये दो आत्माएं एक होकर धड़कने लगें। इसलिए पहले तो मैं कुछ दिनों तक प्रदीप के फोटो ही देखता रहा और फिर जहां जहां मुझे अपनी पेंटिंग के लिए स्पेस धडकता हुआ दिखा वहां-वहां मैंने रंगों से खेलना शुरू कर दिया। मैंने प्रदीप के फोटो पर पेंट किया और कहीं कही उनके फोटो को फाड़कर भी पेंट किया। इसमें तेईस इंच गुणित बयालीस इंच से लेकर चालीस इंच गुणित चौरासी इंच की कलाकृतियां शामिल हैं।
बाम्बे हेरिटेज ः यह है सफदर-प्रदीप की होटल ताज!
हवेली ड्रीम्स के पहले प्रदीप चंद्रा और सफदर शामी ने बाम्बे हेरिटेज शीर्षक से मुंबई में एक बड़ा शो किया था। इसके लिए प्रदीप चंद्रा ने मुंबई की धरोहरों के रूप में विख्यात बिल्डिंग्स को चुना। इसमें होटल ताज, गेटवे अॉफ इंडिया, वीटी(जो छत्रपति शिवाजी टर्मिनल हो गया है), हाजी अली, माउंट मेरी चर्च, बीएमसी बिल्डिंग, हायकोर्ट, एलफिंस्टन कॉलेज, सेंट जेवियर कॉलेज, ॉक्रॉफोर्ड मार्केट और ससून लायब्रेरी जैसी खूबसूरत और पुरानी बिल्डिंगें शामिल थीं। श्री चंद्रा ने इनके खास कोण से फोटो लिए ताकि उनकी संपूर्ण खूबसूरती को कैद किया जा सके। फिर उनके बड़े-बड़े प्रिंट्स निकलवाए और चित्रकार सफदर शामी को सौंप दिए। सफदर ने जहां जहां अपनी चित्रकारी की संभावनाएं देखीं वहां वहां से फोटो फाड़कर अपने रंग से उसे एक मुकम्मल पेंटिंग का रूप दे दिया। मिसाल के तौर पर होटल ताज को लीजिए जिसे आतंकवादी हमले में खासा नुकसान हुआ है। श्री चंद्रा के खीचें इस होटल के फोटो में सफदर ने ताज के टोन को ध्यान में रखते हुए आकाश को सुंदर रंगों से आलोकित किया, उसके कुछ गुंबदनुमा संरचना को चमकदार पीले रंग में निखार दिया जैसे वे सुनहरी धूप में चमक रहे हों और आसपास के पेड़ों और हलचलों को जीवंत कर दिया और इस तरह फोटो की लय में लय मिलाते हुए उसे रच दिया। इस तरह से अनूठे ढंग से बाम्बे हेरिटेज का यह कलात्मक दस्तावेज तैयार किया। इस तरह फोटो और पेंटिंग के मेल से लगभग तीस कलाकृतियां तैयार की गई थीं। श्री चंद्रा खुश होकर बताते हैं कि यह पूरी सिरीज हाल ही में बिक चुकी है। आशा है हमारे हवेली ड्रीम्स भी लोगों को पसंद आएंगे।
8 comments:
interesting !
Waah ! bahut hi sundar aur jeevant chtrakeeri hai.Aabhaar.
हवेली ड्रीम्स की बढ़िया फोटो और अच्छी जानकारी है . धन्यवाद्.
अजब है! और ग़ज़ब है. रचनात्मकता का यह नूतन आयाम अच्छा लगा और रवीन्द्र भाई आपका आभार इन कलाकारों को यहां जगह देने के लिए.
Oh! bahut hi manbawan jaankari hae. bahut bahut mubaraqbaad
चित्रकार सफदर शामी और फोटोजर्नलिस्ट प्रदीप चंद्रा का काम जबर्दस्त है...देख कर तरावट सी आ गई। बहुत बहुत आभार हमें नॉस्टैल्जिक बनाने के लिए। अतीत में गोता लगा गए...लौटने की इच्छा नहीं हो रही वहां से....
शुक्रिया...
हां, जहांगीर में आपकी प्रदर्शनी का क्या हुआ ?
सभी का शुक्रिया।
अजितभाई, मेरे पेंटिंग एक्जीबिशन जयपुर में २१ से २७ फरवरी को जवाहर कला केंद्र में है।
bahut badhiya.
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