Monday, January 5, 2009

काले रंग का हाथ थामकर जादू रचने की कोशिश


एमएफ हुसैन-एनएस बेंद्रे के इस शहर इंदौर में ऐसे बेहतरीन युवा चित्रकार हैं जो अपनी रचनात्मकता को नए आयाम दे रहे हैं। वे कभी आकृतिमूलकता में तो कभी अमूर्तन में अपने लिए रूप और रंग की अनंत संभावनाएं तलाश रहे हैं। उनमें नया रचने की तड़प भी है और इसी लिए प्रयोग करने का साहस भी। यही खासियत इंदौर के चित्रकार जगत को नए- नए रूप देती है, नए-नए आकार देती है। और इसी वजह समकालीन चित्रकला परिदृश्य में शहर के चित्रकारों ने अपनी मौजूदगी का गहरा अहसास कराया है। इन्हीं के बीच एक चित्रकार है जो काले रंग में संभावनाएं तलाशते हुए एक संभावनाशील चित्रकार के रूप में उभरा है। यह चित्रकार हैं-युवा शबनम शाह।
जब तमाम चित्रकार तमाम रंगों से खेलते हुए अपने कैनवास को ज्यादा से ज्यादा रंगीन बनाने में जुटे हैं तब यह चित्रकार काले के हसीन जादू की गिरफ्त में है।
कैलिफोर्निया की प्रतिष्ठित आईकॉन गैलरी में 2008 में उनके चित्रों की एकल नुमाइश हो चुकी है। दिल्ली, मुंबई और इंदौर में समूह प्रदर्शिनयों में उनके चित्र शामिल थे। और अब पांच जनवरी से 17 जनवरी तक चैन्नई में होने वाली एक समूह प्रदर्शनी में उनके चित्र शामिल किए गए हैं। अप्पाराव गैलरी द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में शबनम के साथ पांच और कलाकार हैं जो काले रंग में काम करते हैं। बीते साल की पैलेट में उनके खाते में कामयाबी के ये बड़े काले बुंदके चमक रहे हैं।
वे कहती हैं कि काले में तमाम रंग छिपे हुए हैं। मेरे लिए काले का मतलब कलरफुल है। इसमें सारी रंगीनियां समाहित हैं। मुझे इस रंग में काम करने में मजा आता है। मैं इसके अलग-अलग शेड्स में अलग-अलग रंगों को ढूंढ़ लेती हूं। मैं इस रंग को कई स्तरों पर एक्सप्लोर करना चाहती हूं। मैं मानती हूं कि काले रंग में अनेक संभावनाएं हैं। मैं इसी रंग के प्यार में हूं। और इसी के जरिये बहुत सारे रूपों को और बहुत सारी वैरिएशंस को बनाने-खोजने में लगी हूं। पहले मैंने अक्षरों को लेकर पेपर पर चित्रकारी की थी। अक्षर भी मेरे लिए आकार हैं। मैं इन आकारों को लेकर लगभग 49 पेंटिंग्स की थी।
शबनम ने पेपर पर खूब काम किया लेकिन अब वे पिछले दो-एक सालों से कैनवास पर काम कर रही हैं। रंग वही उनका प्यारा काला है। उन्होंने श्रावण को लेकर भी कई पेंटिंग्स की हैं। इसमें बारिश के मौसम का असर काले रंगों में फैला हुआ है। इन्हें देखकर सहज ही कहा जा सकता है कि ये मौसम से रूबरू होकर उसका हूबहू रूपांकन नहीं है बल्कि उस मौसम का मन पर जो असर हुआ है उसके इम्प्रैशंस हैं। वे कहती हैं कि इस मौसम का इतना गहरा असर होता है कि मन पर कई भाव बनते-मिटते हैं। मैंने मन में बनने वाले इन्हीं भावों को काले के अलग अगल शेड्स में रचने की कोशिश की है।
कहने दीजिए यह एक साहसिक कलाकार है जो रंगों का रंगीन दामन छोड़कर काले रंग का हाथ थाम चुकी है और अपनी कठिन राह पर जादू रचने की कोशिश कर रही है।

5 comments:

Unknown said...

बहुत सही..हमारी तरफ़ से उनको ढेर साड़ी शुभकामनाये

यारा said...

v nice....


apna pagaam mohabbat hai

jahan tak pahunche...


awdhesh. indore

sushant jha said...

good...ariticle....kala per aise lekh blog per jyada nahin milte...

एस. बी. सिंह said...

शबनम जी को हमारी तरफ़ से सारी शुभकामनाएं और आप को भी।

Bahadur Patel said...

bahut achchha hai.badhai.