tag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post4116586174936815540..comments2023-07-16T14:18:35.199+05:30Comments on हरा कोना: मां का मंत्रोच्चारravindra vyashttp://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-44363048220577503392010-11-21T11:21:31.893+05:302010-11-21T11:21:31.893+05:30बेहतरीन ...आखिरी पंक्तिओं ने मुस्कान ला दी मुखरे प...बेहतरीन ...आखिरी पंक्तिओं ने मुस्कान ला दी मुखरे पर..Shubham Shubhrahttps://www.blogger.com/profile/08872342917969472915noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-13647938073127786482010-02-23T05:49:51.039+05:302010-02-23T05:49:51.039+05:30लाजवाब! माँ से ही हैं ये घर परिवार!लाजवाब! माँ से ही हैं ये घर परिवार!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-40410203750561055692009-07-16T11:28:19.535+05:302009-07-16T11:28:19.535+05:30बहुत खुब सर. रुई के फूए मैने हिदी सहित्य समिति मे ...बहुत खुब सर. रुई के फूए मैने हिदी सहित्य समिति मे लाइव सुनी थी. बाकी कहानिया भी दिल मे उतरने वाली है. मज़ा आ गया.manish joshihttps://www.blogger.com/profile/15204678102509498042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-49819700470837859982009-07-02T19:46:47.209+05:302009-07-02T19:46:47.209+05:30Ravindraji,
Bahut achchha, swaabhaavik aur saral ...Ravindraji, <br />Bahut achchha, swaabhaavik aur saral likhte hain aap. Ek adrashya roomaanee sansaar jise ham yaheen kaheen jeete hain, aapkee rachnaa men aankhen kholtaa hai . likhte rahiye. intezaar rahegaa.Vinay Kumar Vaidyahttps://www.blogger.com/profile/13513835134680719319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-48684251597540103922009-06-26T10:13:21.573+05:302009-06-26T10:13:21.573+05:30प्रिय रंगनाथ
आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर थोड़ा सा भावुक...प्रिय रंगनाथ<br />आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर थोड़ा सा भावुक हो गया। मैं इसी तरह की कहानियां लिखना चाहता हूं। लेकिन कई बार समय इतना कम बचता है कि वह संभव नहीं हो पाता और फिर इतना सारी चीजों में दिलचस्पी है कि क्या कहूं। हालांकि मैं यह भी जानता हूं कि जो लिखना चाहते हैं वे इस तरह का एक्सक्यूज नहीं देते। फिर भी मैं कोशिश करूंगा कि लगातार कहानियां लिखता चलूं। आप बहुत ही जल्द हरा कोना पर मेरी एक अन्य कहानी रूई के फाहे जल्द ही पढ़ सकेंगे। <br />हिंदी में आप जैसे सहृदय पाठक मिलना सुखद <br />बहुत गहरे आभार के साथ।ravindra vyashttps://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-26334262716494804792009-06-26T03:18:46.379+05:302009-06-26T03:18:46.379+05:30रविन्द्र जी
आप जिस तरह का गद्य लिखतें हैं उसमें ...रविन्द्र जी <br /> आप जिस तरह का गद्य लिखतें हैं उसमें बहुत संभावना दिखती है। आपके गद्य से बहुत सुकून मिलता है। प्रेमचंद के अलावा हिन्दी में तो मैं नहीं कह सकता लेकिन हिन्देतर गद्य में आस्कर वाइल्ड, चेखव और हेमिंग्वें की तरह का गद्य लिखने की संभावना आप में साफ दिखती है। गद्य के छोटे-छोटे टुकड़ो से बड़ी बात बुनने में आप सक्षम है। जरूरी नहीं कि सैकड़ों कहानियाँ लिखीं जाएं। ऐसे किसी दबाव को दरकिनार कर कम से कम एक “उसने कहा था“ लिख लेना भी उपलब्धि है।<br />आप की कहानी का मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा। ऐसी कहानी का जिसमें कहानीपन हो। ऐसी कहानी जो हौले-हौले अंदर उतरे। ऐसी कहानी जिसमें हमीद और उसका चिमटा हीरो हों !! ऐसी कहानी जो बूढ़े भगत के मंत्र जैसी हो !!<br />ऐसी कहानी जो पाठक बनाए। ऐसी कहानी जो हिन्दी गद्य को लोकप्रिय बनाए।<br /> आप कि भाषा को गैर-जरूरी आत्म-ग्रस्तता और आत्म-दया से उपजे रहस्यवादी उलझाव का घुन न लगे तो आप बहुत पढ़ जाएंगे।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-1138118458849873032009-06-26T02:53:01.833+05:302009-06-26T02:53:01.833+05:30बहुत सुंदर गद्य में लिखा गया अदभूत संस्मरण !!बहुत सुंदर गद्य में लिखा गया अदभूत संस्मरण !!Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-57025624619320030852009-06-25T14:37:01.623+05:302009-06-25T14:37:01.623+05:30अंबुजजी, ये लिखी जा चुकी चीजें हैं। इसलिए पोस्ट कर...अंबुजजी, ये लिखी जा चुकी चीजें हैं। इसलिए पोस्ट कर दी हैं। मैं जानता हूं कि मैं रसोई बना सकता हूं। अब मैं कुछ नई कहानियां लिख रहा हूं। आप यकीन करिये, आपकी राय मेरे लिए बहुत मायने रखती है। आप शायद भूल गए होंगे कि मैंने आपके और विवेक के कहने पर ही अपनी एक बाईस पेज की कहानी के बीस पन्ने फाड़ दिए थे। <br /><br />मैं फिर से जुटा हूं।ravindra vyashttps://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-75144199046235189172009-06-25T09:37:39.129+05:302009-06-25T09:37:39.129+05:30तुम अपने को यों ही गर्क मत करो।
कहानियां लिखो।
यह ...तुम अपने को यों ही गर्क मत करो।<br />कहानियां लिखो।<br />यह फास्ट फूड स्वादिष्ट है, आकर्षक है, आनंददायी है लेकिन तुम पूरी रसोई बना सकते हो। यकीन करो।<br />तुम्हें कैसे समझाऊं। शायद यह आखिरी कोशिश है।कुमार अम्बुजhttps://www.blogger.com/profile/02635510768553914710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-47210355162919118952009-06-24T16:26:22.536+05:302009-06-24T16:26:22.536+05:30स्टोव था ही अबी खयालों मे, लेकिन ये पिन गुम गई थी ...स्टोव था ही अबी खयालों मे, लेकिन ये पिन गुम गई थी आज आपके कहते ही फिर आ गई ज़ेहन में..! <br /><br /><b>मुझे लगता, मानो मां तो मंत्रोच्चार कर रही है और पिता बड़बड़ा रहे हैं! </b><br /><br />अद्भुत अंदाज है आपका बातो को कहने का..!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-74218813436821859892009-06-24T15:59:53.756+05:302009-06-24T15:59:53.756+05:30अलबेलाजी बहुत बहुत शुक्रिया। कीर्तीष, आपकी प्रतिक्...अलबेलाजी बहुत बहुत शुक्रिया। कीर्तीष, आपकी प्रतिक्रिया मार्मिक है। शायद कविता कहानी इसी तरह चरितार्थ होती है कि वह अपनी होकर सबकी हो जाती है। विजयभाई आपकी कहानी पसंद आई आभार। उड़नतश्तरीजी आपकी प्रतिक्रिया उत्साहित करती है। बालीजी और लावण्या जी गहरे से आभार। संजयभाई बहुत बहुत शुक्रिया।ravindra vyashttps://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-86434128025406994622009-06-24T07:23:21.499+05:302009-06-24T07:23:21.499+05:30पिताओं की वैदिक ऋचाओं से होड़ लेता माँओं का अपना ग...पिताओं की वैदिक ऋचाओं से होड़ लेता माँओं का अपना गृह्य- सूत्र.<br />घर की हर ध्वनी और मौन को स्वर देता गद्य.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-51513471959809428692009-06-24T02:10:04.645+05:302009-06-24T02:10:04.645+05:30चित्रकार जब लाइफ स्कैच बनाते हैँ तब कई रँग भर देते...चित्रकार जब लाइफ स्कैच बनाते हैँ तब कई रँग भर देते हैँ केन्वस मेँ और हम देखते रह जाते हैँ <br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-68185978278568764912009-06-24T01:14:42.275+05:302009-06-24T01:14:42.275+05:30बहुत अच्छा लिखा है।बहुत अच्छा लिखा है।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-65480298129062942912009-06-24T00:10:34.108+05:302009-06-24T00:10:34.108+05:30बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.बाँधकर रखा अंत तक.बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.बाँधकर रखा अंत तक.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-56702059895797568392009-06-23T21:57:11.604+05:302009-06-23T21:57:11.604+05:30्सुंदर गद्य है। बहुआयामी।्सुंदर गद्य है। बहुआयामी।विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-603821987635706512009-06-23T19:34:07.665+05:302009-06-23T19:34:07.665+05:30बहुत ही सुन्दर.
में पढता गया और इसे अपने घर से जो...बहुत ही सुन्दर. <br />में पढता गया और इसे अपने घर से जोड़ता गया. एक लाइन या एक शब्द भी ऐसा नहीं निकला जो मुझे अपरिचित सा लगा हो. <br />वाकई बहुत सुन्दर.Kirtish Bhatthttps://www.blogger.com/profile/10695042291155160289noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3281202811764065463.post-12290162253864737642009-06-23T17:54:59.848+05:302009-06-23T17:54:59.848+05:30baanch kar anand mila
badhaai 1baanch kar anand mila<br />badhaai 1Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.com